विश्व प्रसिद्ध
निवेशक वारेन बुफे के जीवन से हम क्या सिख सकते है?
वारेन बुफे अमेरिका के 87 वर्षीय नागरिक है तथा अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त
निवेशक तथा बर्कशायर हाथवे के मुख्य कार्यकारी अधिकारी है I इनका जन्म 30 अगस्त 1930
को अमेरिका के ओमाहा शहर में हुआ था I वारेन बुफे का जीवन किसी रोलरकोस्टर राइड से
कम नही रहा है और अपने निवेश करने के कला तथा सिधान्तो के आधार पर इन्होने 100
डॉलर से शुरुआत करके आज अपने आपको विश्व के सबसे धनी व्यक्तियों की सूचि में शुमार
किया है और आज वे विश्व में तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति है. इतने प्रेरक व्यक्तित्व
के बारे में जानना बहुत प्रेरनादायी होगा और वे इतने अमीर कैसे बने और जीवन में
इतने सफल कैसे हुए ये जानने के लिए आप इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़ें.
वेसे उनका जन्म एक राजनितिक परिवार में हुआ था और परिवार में पैसे की कोई कमी
न होने के बावजूद भी पार्ट टाइम सेल्समेन के रूप में उन्होंने काम किया और कई अलग
अलग सामान डोर टू डोर घुमकर बेचे थे. युवावस्था में पार्ट टाइम जॉब्स से हुयी आय से
उन्होंने कई और आय के श्रोत तैयार कर लिए थे. जैसे सिक्के डालकर वजन बताने वाली
मशीन लगाना, पेपर और पत्रिकाए बेचना, नौकरी करना इत्यादि. उन्होंने इस बात को बहुत
ही कम आयु में समझ लिया था की अमीर बनने के लिए एक मात्र आय का श्रोत काफी नही
होता है. पैसा बनाने के लिए पैसे को इस्तेमाल करने की कला का इस्तेमाल किया और सफल
होते गए. उन्होंने ११ वर्ष की उम्र में पढाई लिखाई के अलावा अपने माता पिता के
विरोध करने के बावजूद शेयर बाज़ार में दिलचस्पी की वजह से विभिन्न कंपनियों के शेयर
में निवेश करना शुरू कर दिया था तथा १५ वर्ष की आयु में अपनी बचत के पैसो से ४०
एकड़ जमीन खरीद ली थी और सौदेबाज़ी के पक्के खिलाडी बन गए थे.
हालाँकि १५ वर्ष जैसी कम आयु में जमींन खरीदने जैसी सोच ही विकसित नही होती
है. लेकिन उन्होंने एसा कर दिखया था. युवास्था में जमींन में निवेश नही कर पाने की
गलती का अहसास काफी बाद में होता है. कुछ एसा अहसास मुझे भी होता है. मगर एसी
गलतियो से बचना चाहिए. अगर आज के समय में युवा उम्र में जमींन खरीदने का अवसर किसी
को मिलता है तो कभी नही खोना चाहिए क्युकी पूरी जिंदगी आगे होती है और एक बहुत बड़ा
काम काम आप जरुरत से पहले ही कर चुके होते है. खैर आज बात सिर्फ वारेन बुफे के
बारे में ही करेंगे. ३५ वर्ष की आयु तक वे $ ४५ मिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट फण्ड कण्ट्रोल
कर रहे थे जिसका मात्र ५ प्रतिशत उनका था और उन्होंने 1951 से 1954 तक बुफे-फाक & कंपनी, १९५४ से १९५६ तक
ग्राहम नेव्मन कॉरप में काम किया और १९५६ से १९६९ तक बुफे पार्टनरशिप लिमिटेड बनाकर
काम किया. साथ ही उन्होंने एक साथ ७ और पार्टनरशिप कंपनियों को चलाया और उसके बाद
उन्होंने बर्कशायर हाथवे में काम करना शुरू किया था और इस दौरान उन्होंने उसमे तथा
दूसरी कंपनियों में निवेश करना जारी रखा और नतीजन आज तक के दुनिया में सबसे सफल
निवेशक है और अपनी कंपनी के मुख्य कारकरी अधिकारी भी है. उन्होंने कर चोरी जैसे काम भी कभी नही किये और अपने
जीवन में हमेशा पूरा कर चुकाया है. ये इस बात को साबित करता है की अमीर बनने के लिए
टैक्स चोरी करना जरुरी नही है. भारत में इस तरह के आदर्श निवेशक और व्यापारी खोजने
पर भी नही मिलेंगे. क्युकी मानसिकता ही एसी बन चुकी है जो सुधरने नही देती. वर्तमान
में नीरव मोदी और माल्या जैसे लोगो ने पुरे विश्व में भारत की शाख को चुना लगाया
है.
उन्होंने बर्कशायर हाथवे को
एक कपडा मील से एक बहुत बड़े उद्योग समुह के रूप में स्थापित किया है एवं ६७ दूसरी
कंपनियों के अधिकार उनके पास हैं. करीब ३ लाख से ज्यादा कर्मचारी उनके समूह में
काम करते है. वारेन बुफे की वर्तमान
सम्पति करीब 100 बिलियन डॉलर्स है और सबसे बडी बात तो ये है कि अपनी 99 प्रतिशत
सम्पति मानव मात्र के कल्याण के लिए दान कर दी है. है ना वाकई कमाल की बात. पूरा
जीवन अपने दम पर पैसा बनाकर इतनी बड़ी कंपनी खड़ी करके लाखो लोगो को रोजगार दिया और
अंत में अपनी सारी कमाइ का 99 प्रतिशत हिस्सा भी दान करना कोई साधारण काम नही है.
एक अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट के
अनुसार किसी जीवित व्यक्ति के जीवन पर सबसे ज्यादा किताबे अमरीकी राष्ट्रपति तथा दलाईलामा
के अलावा वारेन बुफे के जीवन पर लिखी गयी है तथा उनके जीवन पर पूरी दुनिया भर में
अलग अलग भाषाओ में अनुवादित किताबो की संख्या का अनुमान लगाना भी मुश्किल है. कई
फिल्मे भी उनके जीवन पर बनी है. एक डोकुमेंट्री फिल्म की लिंक दे रहा हूँ आप इस पर
क्लिक करके उसे देख सकते है. https://www.youtube.com/watch?v=RYHPlLsdW0A
वारेन बुफे ने किसी एलेक्टोनिक
गजट (वस्तु) का इस्तेमाल कभी नही किया था और आज भी उनके पास कोई लैपटॉप या
कंप्यूटर नही है फिर भी आज से १५ साल पहले सोशल मीडिया नाम का कुछ नही था लेकिन आज
का जमाना सोसिअल मीडिया का है. और युवा पीढ़ी का ध्यान भटकाने के लिए ये काफी है.
एक सर्वे के अनुसार सफल लोग सोशल मीडिया का सकारात्मक तरीके से इस्तेमाल करते है
या वे हुत बहुत कम इस्तेमाल करते है. सोशल
मीडिया की वजह से आज की पीढ़ी को सब कुछ रेडीमेड मिल रहा है नतीजन उनमे क्रिएटिविटी
(रचनात्मकता) ख़तम हो रही है. इतनी टेक्नोलॉजी और सुख सुविधाओ के ज़माने में एक
दुसरे से सहमत होने के बजाय असहमत होना फैशन बन गया है और ये ही फैशन सोशल मीडिया
का इस्तेमाल सकारात्मक चीजो की बजाय नकारत्मक चीजो के लिए प्रेरित करता है. इसके
दूरगामी परिणाम भी अति दुखद ही होंगे. सोशल प्लेटफार्मस पर राजनितिक बहस, धार्मिक
कट्टरता जैसी चीजो को ज्यादा तवज्जो न देकर तथा इनसे दूर रहकर दूरगामी सोच के साथ काम
करे वो ज्यादा जरुरी है जिससे आपका तथा आने वाली पीढियों का भविष्य संवर सके ताकि शायद
आप में से ही कोई उन्हें पीछे छोडकर भारत का नयी पीढ़ी का वारेन बुफे बन सके. राकेश
झुन्हजुनवाला को आज के भारत का वारेन बुफे कहा जाता है.
हंसते रहें. खुश रहें. स्वस्थ रहें.
आपके कमेंट्स का इंतज़ार रहेगा.